भारत में महिलाओं की स्थिति को लेकर हमेशा चिंता जतायी जाती है । महिलाओं को ऐसी निर्लज्ज छनालों की दृष्टि से देखा जाता है जिनको भारतीय जीवन मूल्यों की ध्वजवाहक बने रहने के लिए लगातार संस्कार दिए जाने की जरूरत होती है। जिन महिलाओं के साथ अपराध होता है उनके बारे खुद सबकुछ सामने आ जाता है लेकिन जो महिलाएं हर दिन इस समाज को झेलती हैं वो अन्धेरो में कही चुप जाती हैं ।
अन्य देशों की तुलना में भारत की महिलाओं एवं लड़कियों को निरक्षरता, कुपोषण, दमन, सामाजिक भेदभाव, गरीबी एवं शकितहीनता का व्यापक बोझ वहन करना पड़ता है। बाल विवाह की प्रथा तथा लड़कियों का ‘पराया धन मानने की दुराग्रही दृषिट ने अनेक बालिकाओं के बचपन का गला घोंट दिया और छोटी आयु में ही उन पर घरेलू जिम्मेदारियों का बोझ डाल दिया।
आए दिन अख़बारों, टीवी चैनलों पर रेप, गैंगरेप और घरेलू हिंसा की घटनाएं नज़र आती हैं लेकिन हम चाहकर भी नहीं कुछ कर पाते। हम बस इनके खिलाफ आंदोलित-आक्रोशित होने के अलावा कुछ नहीं कर पाते। इस देश में महिलाओं को जिंदा रहने की शर्त ही यह है कि इस तरह का व्यवहार बर्दाश्त करना पड़ता है।
इस वीडियो में दिखाया गया है कि एक लड़की जिसका नाम आना है कि आम दिन की तरह दफ्तर के लिए घर से निकलती है और फिर उसकी परेशानी वही से शुरू हो जाती है आगे इस विडियो में कुछ ऐसा दिखाया गया है की लोगो को शर्म आ जाए ।