सीबीआई घूसकांड मामले में जांच कर रही सीबीआई की टीम ने अपने ही हेडकॉर्टर में छापे मारी की कार्यवाई को अंजाम दिया है। सीबीआई ने डीएसपी देवेंद्र कुमार के दफ्तर में छापेमारी की है। सीबीआई ने ये कार्यवाई देवेंद्र कुमार को गिरफ्तार करने के बाद अंजाम दिया है। बता दें कि सीबीआई की टीम ने डीएसपी देवेंद्र कुमार को जांच में गड़बड़ी करने और रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया है।
सीबीआई का आरोप है कि डीएसपी ने फैब्रिकेटेड स्टेटमेंट लिया जिसमें डायरेक्टर सीबीआई से सेटिंग की बात है. इसके अलावा एक और बड़े घटनाक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सीबीआई चीफ को समन करने के बाद उनसे मुलाकात कर ली है. सीबीआई में नंबर एक बनाम नंबर दो की लड़ाई को लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय खासा नाराज है. सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा ने इस बारे में प्रधानमंत्री से मुलाकात भी की है. सीबीआई ने अपने ही डीएसपी देंवेद्र कुमार के ठिकानों पर छापेमारी कर आठ मोबाइल फोन बरामद किए हैं. आलम यह है कि दोनों पक्ष एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगा रहे है और एफआईआर का मामला कानूनी लड़ाई के लिए कोर्ट में भी जा सकता है।
एफआईआर के मुताबिक अधिकारी ने हैदराबाद के व्यापारी सतीश साना, जिसका नाम मीट कारोबारी मोइन कुरैशी की जांच से जुड़े मामले में सामने आया था, के मामले को खत्म करने के लिए 3 करोड़ रुपए की रिश्वत ली थी।
क्या है मामला ?
देश में भ्रष्टाचार के खिलाफ कानूनी लडाई लड़ने के लिए 1 अप्रैल 1963 को सीबीआई का गठन किया गया था एक के बाद एक सीबीआई ने शानदार काम किए चाहे वो घोटालों का पर्दाफाश हो या फिर सनसनीखेज मर्डर लेकिन साल 2018 सीबीआई के लिए काला इतिहास लेकर आया जब सीबीआई के वर्तमान स्पेशल निदेशक राकेश अस्थाना समेत चार लोगों के खिलाफ खुद सीबीआई ने रिश्वत लेने का मुकदमा दर्ज कर लिया. सीबीआई ने इस मामले मे अपने ही डीएसपी देवेंद्र कुमार पर छापा मार कर आठ मोबाइल फोन बरामद किए है लेकिन सीबीआई इस मामले मे आरोपी नबंर एक के यहां छापेमारी क्यों नही कर पाई इस बारे में कोई अधिकारिक जवाब नही दे रही है।
सीबीआई ने क्यों की FIR?
FIR के मुताबिक मनोज प्रसाद और उनके भाई सोमेश प्रसाद, सतीश साना से मिले। सतीश साना का नाम मोइन कुरैशी की जांच के दौरान सामने आया था। दुबई स्थित व्यापारी मनोज और सोमेश ने सतीश को बताया कि सीबीआई के अधिकारी की मदद से वे केस खत्म करा देंगे. सतीश का आरोप है कि सोमेश ने एक अधिकारी को फोन किया जिसने दावा किया कि वो 5 करोड़ रुपये में मामले को खत्म करा देगा लेकिन 3 करोड़ रुपये एडवांस में देने होंगे. जिसके बाद सोमेश ने सतीश को बताया कि जिस अधिकारी से उसने बात की वो राकेश अस्थाना थे और इसकी पुष्टि के लिए उसने वॉट्सऐप डीपी भी दिखाई।
सतीश की शिकायत के मुताबिक एक अक्टूबर को सीबीआई से पूछताछ के दौरान उसकी मुलाकात डीएसपी देवेंद्र कुमार से हुई जिन्होंने उसकी मुलाकात एसपी जगरूप से कराई। इस मामले में बिचौलिए मनोज को 16 अक्टूबर को दुबई से दिल्ली आने पर सीबीआई गिरफ्तार कर चुकी है।